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हरिप्रियानुजां वन्दे देवीं त्रिपुरसुन्दरीम् ॥७॥
The anchor on the best hand displays that the person is concerned along with his Convalescence. If built the Sadhana, will get the self self-confidence and all of the hindrances and obstacles are taken off and every one of the ailments are eradicated the symbol which happens to be Bow and arrow in her hand.
सौवर्णे शैलशृङ्गे सुरगणरचिते तत्त्वसोपानयुक्ते ।
The Sri Chakra is a diagram shaped from 9 triangles that surround and emit out of the central place.
पद्मरागनिभां वन्दे देवी त्रिपुरसुन्दरीम् ॥४॥
ऐसा अधिकतर पाया गया है, ज्ञान और लक्ष्मी का मेल नहीं होता है। व्यक्ति ज्ञान प्राप्त कर लेता है, तो वह लक्ष्मी की पूर्ण कृपा प्राप्त नहीं कर सकता है और जहां लक्ष्मी का विशेष आवागमन रहता है, वहां व्यक्ति पूर्ण ज्ञान से वंचित रहता है। लेकिन त्रिपुर सुन्दरी की साधना जोकि श्री विद्या की भी साधना कही जाती है, इसके बारे में लिखा गया है कि जो व्यक्ति पूर्ण एकाग्रचित्त होकर यह साधना सम्पन्न कर लेता है उसे शारीरिक रोग, मानसिक रोग और कहीं पर भी भय नहीं प्राप्त होता है। वह दरिद्रता के अथवा मृत्यु के वश में नहीं जाता है। वह व्यक्ति जीवन में पूर्ण रूप से धन, यश, आयु, भोग और मोक्ष को प्राप्त करता है।
गणेशग्रहनक्षत्रयोगिनीराशिरूपिणीम् ।
Over the 16 petals lotus, Sodhashi, who's the shape of mother is sitting down with folded legs (Padmasana) gets rid of each of the sins. And fulfils all the wishes with her sixteen varieties of arts.
Her legacy, encapsulated in the vibrant traditions and sacred texts, proceeds to guide and inspire Those people on the path of devotion and self-realization.
She's depicted like a sixteen-year-old Woman using a dusky, red, or gold complexion and a third eye on her forehead. She more info is amongst the ten Mahavidyas and it is revered for her elegance and electrical power.
यहां पढ़ें त्रिपुरसुन्दरी कवच स्तोत्र संस्कृत में – tripura sundari kavach
यामेवानेकरूपां प्रतिदिनमवनौ संश्रयन्ते विधिज्ञाः
यहां पढ़ें त्रिपुरसुन्दरी हृदय स्तोत्र संस्कृत में
स्थेमानं प्रापयन्ती निजगुणविभवैः सर्वथा व्याप्य विश्वम् ।